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बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2649
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास

प्रश्न- महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के विषय में आप क्या जानते हैं?

अथवा
मुस्मिल शासक महमूद गजनवी द्वारा भारत पर किये गये आक्रमणों तथा उनके परिणामों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर -

महमूद गजनवी

भारतवर्ष में जो प्रारम्भ में विदेशी आक्रमणकारी आये उनमें महमूद गजनवी का स्थान महत्वपूर्ण है। सुबुक्तगीन की मृत्यु के उपरान्त उसका ज्येष्ठ पुत्र महमूद गजनवी गजनी के राज्य सिंहासन पर आसीन हुआ। उसके पुत्र महमूद ने एशिया के शक्तिशाली शासकों के दर्प को चूर्ण कर उनकी शक्ति को पद- दलित कर दिया और सुदूर प्रदेशों तक अपनी विजय दुन्दुभी बजायी।

महमूद के आक्रमण - महमूद ने भारत पर सत्रह बार आक्रमण किया। वह शीतकाल के आरम्भ में भारत पर आक्रमण करता था और ग्रीष्मकाल के आरम्भ होते ही वह गजनी वापस चला जाता था। लगभग प्रत्येक आक्रमण में उसका समय-विभाग का क्रम इसी प्रकार था। अपने साम्राज्य में उचित व्यवस्था करने के उपरान्त उसने भारत पर आक्रमण करने आरम्भ किये।

1. पंजाब के राजा जयपाल पर आक्रमण - उसने सर्वप्रथम पंजाब के राजा जयपाल पर आक्रमण किया जो उसके पिता सुबुक्तगीन का प्रतिद्वन्द्वी तथा कट्टर शत्रु था। दोनों सेनाओं में पेशावर के निकट भीषण युद्ध हुआ। यद्यपि राजा जयपाल ने बड़ी वीरता तथा उत्साह के साथ मुसलमानों की सेना का सामना किया, किन्तु राजा जयपाल अपने कुछ निकटतम सम्बन्धियों के साथ बन्दी हुआ। बन्दी अवस्था में वह महमूद के सामने उपस्थित किया गया। राजा जयपाल मुक्त कर दिया गया और उसने उसके बदले में बहुत-सा धन तथा हाथियों को देने का वचन दिया और राजा जयपाल को बहुत अधिक धन देना पड़ा। राजा जयपाल अपनी पराजय के कारण बहुत दुःखी हुआ। वह इस अपमान को बहुत अधिक समय तक सहन नहीं कर सका। वह अपना राज्य अपने पुत्र आनन्दपाल को सौंप स्वयं चिता में जलकर भस्म हो गया।

2. सीमान्त नगरों पर आक्रमण - सन् 1001 ई. में महमूद ने सीमान्त नगरों तथा दुर्गों पर आक्रमण कर सीमान्त के समस्त प्रदेश को अपने राज्य में मिला लिया। वहाँ उसने अपने शासकों की नियुक्ति की। 

3. मेरा पर आक्रमण - सन् 1003 ई. में महमूद ने तीसरा आक्रमण सिन्ध नदी पार कर झेलम नदी के तट पर स्थिर भेरा नामक स्थान पर किया। वहाँ के राजा ने अदम्य उत्साह तथा साहस का परिचय देकर गजनी की सेना का बड़ी वीरता से सामना किया, किन्तु विजयी महमूद ही रहा। मेरा का राज्य उसने अपने साम्राज्य में सम्मिलित किया। वहाँ के राजा को अपनी पराजय का बड़ा दुःख हुआ और उसने आत्महत्या कर ली। 

4. मुल्तान पर आक्रमण - सन् 1005 ई. में महमूद गजनवी ने मुल्तान पर चौथा आक्रमण किया। इस समय मुल्तान पर अब्दुल फतह दाऊद शासन कर रहा था। वह इस्लाम धर्म का पालन पूर्ण रूप से नहीं करता था जिसके कारण महमूद गजनवी ने उसके राज्य पर आक्रमण किया। मार्ग की कठिनाइयों का अनुमान करके गजनवी ने पंजाब के राजा आनन्दपाल से अपनी सेना को उसके राज्य में से होकर जाने की प्रार्थना की, किन्तु उसने महमूद की प्रार्थना पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया, वरन् वह महमूद का सामना करने के लिए एक विशाल सेना लेकर पेशावर की ओर चल पड़ा। अतः महमूद को पहले आनन्दपाल से युद्ध करना पड़ा। इस युद्ध में राजा आनन्दपाल परास्त हुआ और उसने विवश होकर कश्मीर में शरण ली। इस विजय के बाद महमूद गजनवी ने मुल्तान की ओर प्रस्थान किया। मुल्तान के शासक फतह दाऊद ने बड़ी वीरता से गजनवी की सेना का सामना किया, परन्तु परास्त हुआ। उसने महमूद को वार्षिक कर देना स्वीकार किया। महमूद गजनवी राजा आनन्दपाल के पुत्र सेवकपाल को अपना भारतीय राज्य सौंपकर गजनी चला गया था क्योंकि उसे जानकारी मिली थी कि उसके गजनी के राज्य पर काश्गर के सुल्तान ने अधिकार कर लिया था।

5. सेवकपाल पर आक्रमण - महमूद गजनवी ने पाँचवाँ आक्रमण राजा आनन्दपाल के पुत्र सेवकपाल पर किया। सेवकपाल युद्ध में महमूद गजनवी का सामना नहीं कर सका, वह परास्त हुआ और बन्दी बना लिया गया। उसने उससे दण्डस्वरूप तथा युद्ध क्षति के रूप में बहुत सा धन वसूल किया।

6. राजा आनन्दपाल पर आक्रमण - सन् 1008 ई. में महमूद ने राजा आनन्दपाल पर छठा आक्रमण किया। उसने मुल्तान के शासक अब्दुल फतह दाउद को महमूद के आक्रमण से मुक्त होने में सहायता प्रदान की थी तथा उत्तरी भारत के राजाओं को मुसलमानों की सत्ता का अन्त करने के लिए एक संघ निर्मित किया था। महमूद गजनवी आनन्दपाल के इस कार्य को सहन नहीं कर सका। उसने तुरन्त उसकी राजधानी लाहौर पर आक्रमण किया। राजा आनन्दपाल ने इस समय अन्य भारतीय नरेशों की सहायता प्राप्त की। उसको दिल्ली, उज्जैन, ग्वालियर, कालिंजर, कन्नौज आदि राजाओं ने सहायता प्राप्त की, दोनों सेनाओं में बड़ा भीषण संग्राम हुआ जिसके कारण महमूद के सामने विकट समस्या उत्पन्न हुई। वह युद्ध बन्द करने का विचार कर ही रहा था कि आनन्दपाल का हाथी बिगड़ गया और वह युद्ध-क्षेत्र से भागने लगा। इसका परिणाम यह हुआ कि हिन्दुओं की पराजय हुई। फिर उसने कांगड़ा प्रदेश की राजधानी नगरकोट पर आक्रमण किया। मुसलमानी सेना ने कांगड़ा के दुर्ग को चारों ओर से घेर लिया। जब हिन्दुओं ने अपनी रक्षा का कोई उपाय नहीं देखा तो उन्होंने दुर्ग के फाटक खोल आत्मसमर्पण कर दिया, मुसलमानों ने दुर्ग पर प्रवेश कर उस पर अपना अधिकार स्थापित किया। वहाँ से भी महमूद गजनवी को अतुल धन प्राप्त हुआ।

7. तालावाड़ी का युद्ध - सन् 1010 ई. में महमूद ने सातवां आक्रमण किया। इस बार वह दिल्ली पर आक्रमण करना चाहता था किन्तु मार्ग में ही उसे तालावाड़ी के निकट हिन्दू सेना से युद्ध करना पड़ा। इस युद्ध में भी यह विजयी हुआ और वहाँ से बहुत सा धन लेकर स्वदेश वापिस चला गया।

8. मुल्तान पर आक्रमण - सन् 1011 ई. में महमूद गजनवी ने आठवां आक्रमण दूसरी बार मुल्तान पर किया। क्योंकि उसकी प्रथम विजय स्थायी नहीं रह सकी थी, वहाँ के शासक अब्दुल फतह दाउद ने अपने आपको स्वतन्त्र शासक घोषित कर दिया था, महमूद विजयी हुआ और मुल्तान पर उसका अधिकार स्थापित हो गया।  

9. थानेश्वर पर आक्रमण - सन् 1012 ई. में महमूद ने नवां आक्रमण थानेश्वर पर किया। हिन्दू सेना ने महमूद की सेना का बड़ी वीरता से सामना किया, किन्तु अन्त में वहाँ के राजा को भागना पड़ा। यहाँ से उसको बहुत से हाथी तथा अतुल धन प्राप्त हुआ। मुसलमान सैनिकों ने वहाँ के मन्दिरों को तोड़कर बहुत सारा धन लूटा ! 

10. लाहौर पर आक्रमण - महमूद गजनवी ने 10वां आक्रमण लाहौर पर किया। इस समय यहाँ का राजा त्रिलोचनपाल शासन कर रहा था। इस बार त्रिलोचनपाल के पुत्र भीमपाल ने बड़ी वीरता से मुसलमानी सेना का सामना किया, किन्तु महमूद विजयी रहा। इस बार उसने समस्त पंजाब को अपने राज्य में मिला लिया। 

11. कश्मीर पर आक्रमण - सन् 1015 ई. में कश्मीर विजय के लिए लालायित होकर महमूद ने 11वां आक्रमण किया। मौसम की खराबी के कारण महमूद को सफलता नहीं मिली और निराश होकर उसको गजनी लौटना पड़ा।... 

12. मध्य प्रदेश पर आक्रमण - महमूद गजनवी का यह 12वां आक्रमण था। उसने यमुना नदी पार कर बुलंदशहर पर आक्रमण किया। यहाँ महमूद विजयी रहा तथा अपार धन प्राप्त किया। इसके बाद महावन, कन्नौज आदि पर विजय प्राप्त करता हुआ वह अपार धन-सम्पदा के साथ स्वदेश वापिस लौटा।

13. कालिंजर पर आक्रमण - यहाँ के शासक ने आत्मसमर्पण करके महमूद को गद्दी पर बैठा दिया था। यहाँ का राजा बड़ा साहसी था किन्तु रात्रि में महमूद से भयभीत होकर महल छोड़कर भाग गया। महमूद गजनवी को अपार धन-सम्पदा प्राप्त हुई।

14. पंजाब पर आक्रमण - उसने इस बार पंजाब पर पुनः आक्रमण किया। सीमान्त प्रदेश के निवासियों का दमन करता हुआ वह आगे बढ़ा। उसने पंजाब में सुव्यवस्थित शासन की स्थापना की।

15. ग्वालियर तथा कालिंजर पर आक्रमण - सन् 1022 ई. में उसने ग्वालियर तथा कालिंजर पर 15वां आक्रमण किया। वहाँ वह विजयी रहा और वहाँ के शासक ने उसको बहुत सा धन दिया तथा हाथी भेंटस्वरूप प्रदान किये।

16. सोमनाथ पर आक्रमण - महमूद गजनवी के अन्तिम आक्रमणों में सोमनाथ का आक्रमण सबसे महत्वपूर्ण तथा प्रसिद्ध आक्रमण था। यह उसका सोलहवाँ आक्रमण था जो सन् 1025 में सौराष्ट्र के प्रसिद्ध मन्दिर पर हुआ। यह मन्दिर सौराष्ट्र के समुद्र तट पर स्थित था जिसमें एक विशाल लिंग स्थापित था। महमूद इस मन्दिर के एकत्रित धन के विषय में बहुत कुछ सुन चुका था। वह एक विशाल सेना लेकर रास्ते की अनेक कठिनाइयों को उठाता हुआ सोमनाथ मन्दिर के द्वार पर पहुँच गया। उसकी रक्षा के लिए अनेक राजपूत राजा तथा सैनिक एकत्रित हो गये थे। उन्होंने मुसलमानों की सेना का खूब डटकर तथा वीरतापूर्वक सामना किया, किन्तु विजय महमूद की हुई और वह मन्दिर में प्रवेश करने में सफल हुआ। उसने सोमनाथ की मूर्ति के टुकड़े-टुकड़े कर दिये और उस स्थान पर एक मस्जिद की नींव डाली। जिस समय महमूद सोमनाथ की मूर्ति अपनी गदा से तोड़ रहा था तो ब्राह्मणों ने उससे मूर्ति न तोड़ने की प्रार्थना की तथा उसके बदले में वे उसको अतुल धन देने को उद्यत थे, किन्तु महमूद ने उनकी प्रार्थना की ओर ध्यान नहीं दिया। उसने उनकी प्रार्थना का उत्तर दो शब्दों में दिया कि "मैं मूर्ति बेचने वाले के नाम से नहीं, वरन् तोड़ने वाले के नाम से विख्यात होना चाहता हूँ।"

17. खोखरों पर आक्रमण - महमूद का अन्तिम अर्थात् सत्रहवां आक्रमण खोखरों के विरुद्ध हुआ। इन्होंने महमूद को गजनी वापिस जाते समय बहुत तंग किया था। उनकी धृष्टता का दण्ड देने के लिए महमूद ने उन पर आक्रमण किया और उनका बुरी तरह दमन किया।

महमूद की मृत्यु - 30 अप्रैल सन् 1030 ई. में इस महान विजेता की मृत्यु हो गई। जिस समय उसकी मृत्यु हुई उस समय गजनी साम्राज्य बड़ा विशाल था और उसका राजकोष अतुल धनराशि से परिपूर्ण था।

महमूद के आक्रमणों का प्रभाव

महमूद के आक्रमणों के प्रभाव इस प्रकार हैं - 

1. भारतीय राजाओं की शक्ति को आघात - उसके निरन्तर आक्रमणों के कारण भारतीय नरेशों की शक्ति को आघात पहुँचा। 

2. राजनीतिक व सैनिक दुर्बलता का ज्ञान - भारतीयों की राजनीतिक तथा सैनिक दुर्बलता का ज्ञान विदेशियों को लग गया जिन्होंने बाद में उसका पूर्ण रूप से लाभ उठाया।

3. अतुल सम्पत्ति का विदेश जाना - महमूद के आक्रमण द्वारा भारत की अतुल धन-सम्पत्ति की आर्थिक स्थिति को विशेष धक्का पहुँचा।

4. स्थापत्य कला के नमूने का अन्त - महमूद ने बहुत से मन्दिरों तथा भव्य भवनों को नष्ट-भ्रष्ट कर डाला जिसके कारण भारतीय स्थापत्य कला को बड़ी हानि पहुँची।

5. अग्रदूत का कार्य - महमूद के आक्रमणों ने मुहम्मद गोरी के आक्रमणों के लिए अग्रदूत का कार्य किया। यह महमूद ही था जिसने बारहवीं शताब्दी में मुहम्मद गोरी की भारत में अधिक स्थायी विजनों के लिए द्वार खोल दिया। कुछ विद्वानों की ऐसी धारणा है कि यदि मुहम्मद गोरी महमूद गजनवी का निर्देशित मार्ग न मिला होता तो वह अपना कार्य सम्पन्न नहीं कर सकता था।

6. आक्रमण के लिए नये मार्ग का खुलना - मुसलमानी आक्रमण के लिए एक नया मार्ग खुल गया और यह सिद्ध कर दिया गया कि उसके द्वारा खोला हुआ मार्ग अरब कालों के द्वारा खोले हुए मार्ग की अपेक्षा बहुत अधिक सुगम है और वास्तव में इसी मार्ग द्वारा भारत की विजय सम्भव है। महमूद के आक्रमण के उपरान्त भारत पर अन्य समस्त आक्रमण इसी मार्ग से हुए और आक्रमणकारियों को विशेष सफलता प्राप्त हुई।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  9. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  10. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  11. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  12. प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  13. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  15. प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय उत्तर भारत की राजनीतिक दशा का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
  17. प्रश्न- हर्षवर्द्धन के इतिहास को समझने में ह्वेनसांग के विवरण हमारी कहाँ तक सहायता करते हैं?
  18. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- हर्ष की प्रारम्भिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियाँ बताइए।
  20. प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- हर्ष के पश्चात् कन्नौज की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- सिन्ध पर अरब आक्रमण के प्रभाव की समीक्षा कीजिए।
  24. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
  25. प्रश्न- कश्मीर के राजनैतिक इतिहास में भाग लेने वाले वंशों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
  27. प्रश्न- कश्मीर के शासक ललितादित्य मुक्तापीड के शासनकाल व राजनैतिक सफलताओं के विषय में बताइए।
  28. प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
  29. प्रश्न- कश्मीर के हिन्दू राज्य का इतिहास हमें किस ग्रन्थ से प्राप्त होता है?
  30. प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
  31. प्रश्न- ललितादित्य व यशोवर्मन के मध्य हुए पारस्परिक संर्घष के विषय में बताइए।
  32. प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
  33. प्रश्न- कन्नौज के शासक यशोवर्मन के प्रारम्भिक जीवन एवं राजनीतिक सफलता के विषय में बताइए |
  34. प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
  35. प्रश्न- यशोवर्मन की मृत्यु के पश्चात् कन्नौज पर अधिकार करने के लिये किन शक्तियों में त्रिकोणात्मक संर्घष प्रारम्भ हुआ? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- कन्नौज का यशोवर्मन किस वंश का था? बताइए।
  38. प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
  39. प्रश्न- यशोवर्मन के शासनकाल के विषय में बताते हुए उसके दरबार के विद्वानों तथा उत्तराधिकारियों के नाम बताइए।
  40. प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
  41. प्रश्न- त्रि-शक्ति संघर्ष के विषय में लिखिए।
  42. प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
  43. प्रश्न- सिंध राजवंश के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
  44. प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
  45. प्रश्न- सिंध पर अरबों की सफलता के क्या कारण थे?
  46. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  47. प्रश्न- "चचनामा" के विषय में संक्षिप्त रूप से बताइये।
  48. प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
  49. प्रश्न- दाहिर व मोहम्मद बिन कासिम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  50. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  51. प्रश्न- सिन्ध के इतिहास को संक्षिप्त रूप से अवगत कराइये।
  52. प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
  53. प्रश्न- अरोड़ की लड़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  54. प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
  55. प्रश्न- राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विभिन्न मतों की विवेचना कीजिए।
  56. प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
  57. प्रश्न- राजपूतकालीन सामाजिक संरचना का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
  59. प्रश्न- राजपूतों की अग्निकुण्ड से उत्पत्ति के विषय में बताइए।
  60. प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
  61. प्रश्न- अलबरूनी के भारत विवरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  63. प्रश्न- राजपूतों के स्थानीय प्रशासन पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
  65. प्रश्न- राजपूत काल में साहित्य की प्रगति की समीक्षा कीजिए।
  66. प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
  67. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों को स्पष्ट कीजिए।
  68. प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
  69. प्रश्न- नागभट्ट प्रथम कौन था? प्रतिहार वंश के राजनैतिक इतिहास में उसकी उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
  71. प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक वत्सराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उनकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  73. प्रश्न- नागभट्ट द्वितीय के विषय में बताते हुए उसकी राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
  74. प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
  75. प्रश्न- "प्रतिहार वंश के शासकों में मिहिरभोज सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था।' स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक महेन्द्रपाल प्रथम के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का भी उल्लेख कीजिए।
  78. प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  79. प्रश्न- प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम के व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- प्रतिहारकालीन सामाजिक और धार्मिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
  85. प्रश्न- नागभट्ट प्रथम की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रतिहार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- गुर्जर शासन का महत्व बताइए।
  90. प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
  91. प्रश्न- प्रतिहार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  92. प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
  93. प्रश्न- मिहिरभोज के आधिपत्य का विस्तार बताइए।
  94. प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
  95. प्रश्न- राजशेखर के ग्रन्थ के विषय में बताइए।
  96. प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
  97. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के क्या कारण थे? इसमें शामिल प्रमुख शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
  98. प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
  99. प्रश्न- सोलंकी वंश की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
  100. प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
  101. प्रश्न- सोलंकी वंश के प्रमुख शासकों से अवगत कराइये।
  102. प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
  103. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के परिणाम पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में राष्ट्रकूटों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  106. प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
  107. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में पालों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  109. प्रश्न- सोलंकी वंश के इतिहास को जानने के साधनों से अवगत कराइये।
  110. प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
  111. प्रश्न- सोलंकी वंश के राजनैतिक इतिहास के विषय में बताइये।
  112. प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- परमार वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए। इस वंश की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  115. प्रश्न- परमार शासक मुंज के विषय में बताइए। उसके शासन काल की राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
  116. प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- परमार नरेश भोज का परिचय दीजिए। भारतीय इतिहास में उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  118. प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
  119. प्रश्न- परमार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  120. प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- परमारों की कला पर प्रकाश डालिए।
  122. प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  123. प्रश्न- परमार शासन व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं?
  124. प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
  125. प्रश्न- परमार वंश के पतन का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
  127. प्रश्न- नवसाहसांकचरित में वर्णित परमारों के इतिहास के विषय में बताइए।
  128. प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  129. प्रश्न- भोज के उत्तराधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  131. प्रश्न- किन साधनों से बंगाल के पाल वंश के विषय में जानकारी प्राप्त होती है? इसकी उत्पत्ति के विषय में बताइए।
  132. प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
  133. प्रश्न- पाल नरेश धर्मपाल के विषय में बताते हुए उसकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
  134. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  135. प्रश्न- पाल नरेश देवपाल के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  136. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  137. प्रश्न- भारतीय इतिहास में पाल वंश के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
  138. प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
  139. प्रश्न- पालकालीन कला एवं स्थापत्य पर प्रकाश डालिए।
  140. प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
  141. प्रश्न- धर्मपाल की पराजय के विषय में बताइए।
  142. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- पालों की राजनैतिक सत्ता का चर्मोत्कर्ष बताइए।
  144. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  145. प्रश्न- हिन्दू शाही के पराक्रमी राजा "भीमदेव के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
  146. प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  147. प्रश्न- हिन्दू शाही को विस्तृत रूप से बताइये।
  148. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  149. प्रश्न- हिन्दू शाही वंश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  150. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  151. प्रश्न- त्रिलोचनपाल एवं भीमपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  152. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  153. प्रश्न- महमूद गजनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  154. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  155. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  156. प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
  157. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  159. प्रश्न- चन्देल वंश के इतिहास के साधनों का वर्णन करते हुए इस वंश की उत्पत्ति के सम्बन्ध में बताइए।
  160. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
  161. प्रश्न- चन्देल नरेश यशोवर्मन कौन था? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
  162. प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
  163. प्रश्न- चन्देल नरेश धंग के शासन काल एवं उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  164. प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
  165. प्रश्न- चन्देल शासक विद्याधर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विवेचन कीजिए।
  166. प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
  167. प्रश्न- कीर्तिवर्मन कौन था? उसके शासन काल के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
  169. प्रश्न- चन्देल शासन काल में कला की क्या स्थिति थी?
  170. प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
  171. प्रश्न- चन्देलों के पतन के लिये कौन उत्तरदायी था?
  172. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
  173. प्रश्न- खजुराहो मन्दिरों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  174. प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
  175. प्रश्न- प्रतिहार साम्राज्य के पतन के बाद बुन्देलखण्ड (जेजाकभुक्ति) में किस वंश का उदय हुआ?
  176. प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
  177. प्रश्न- महमूद गजनवी का चन्देलों पर आक्रमण' के विषय में बताइए।
  178. प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  179. प्रश्न- चाहमान वंश के इतिहास जानने के साधनों को बताते हुए इसकी उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
  180. प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
  181. प्रश्न- चाहमान नरेश अणराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उसके शासनकाल में हुए प्रमुख युद्धों का वर्णन कीजिए।
  182. प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
  183. प्रश्न- चाहमान शासक विग्रहराज चतुर्थ के राज्यकाल का मूल्यांकन कीजिए।
  184. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
  185. प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी सफलताओं एवं असफलताओं परं विस्तृत लेख लिखिए।
  186. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
  187. प्रश्न- चाहमानों की शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  188. प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
  189. प्रश्न- शाकम्भरी के चाहमान (चौहान) का परिचय दीजिए।
  190. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  191. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियाँ बताइए।
  192. प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
  193. प्रश्न- पृथ्वीराजरासो पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  194. प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
  195. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  196. प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
  197. प्रश्न- चाहमानों का बुन्देलखण्ड पर आक्रमण बताइए।
  198. प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
  199. प्रश्न- गहड़वाल वंश का इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए। इसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में आप क्या जानते हैं?
  200. प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
  201. प्रश्न- गहड़वाल शासक गोविन्दचन्द्र के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का उल्लेख कीजिए।
  202. प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  203. प्रश्न- गहड़वाल नरेश जयचन्द्र का परिचय दीजिए। उसकी राजनीतिक सफलताओं तथा असफलताओं का मूल्यांकन कीजिए।
  204. प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
  205. प्रश्न- गहड़वाल नरेशों के 'शासन प्रबन्ध' पर एक लेख लिखिए।
  206. प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
  207. प्रश्न- गोविन्दचन्द्र गहड़वाल के विषय में आप क्या जानते हैं?
  208. प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
  209. प्रश्न- जयचन्द गहड़वाल के राज्यकाल की घटनाएँ बताइये।
  210. प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
  211. प्रश्न- गोविन्दचन्द्र के किन राज्यों से कूटनीतिक सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  212. प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
  213. प्रश्न- कलचुरि वंश के शासक गांगेयदेव के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी विजयों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  214. प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  215. प्रश्न- कलचुरि नरेश लक्ष्मीकर्ण के विषय में बताइए उसके शासन काल की प्रमुख राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  216. प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  217. प्रश्न- कलचुरि वंश का इतिहास जानने के साधन बताइए।
  218. प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  219. प्रश्न- गांगेयदेव के राज्यकाल की घटनाएँ लिखिए।
  220. प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
  221. प्रश्न- कलचुरि वंश के पतन पर टिप्पणी लिखिए।
  222. प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  223. प्रश्न- बंगाल के सेन वंश के विषय में आप क्या जानते हैं? यहाँ के शासक विजयसेन की राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  224. प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
  225. प्रश्न- सेन वंश के नरेश लक्ष्मणसेन का परिचय दीजिए। उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  226. प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
  227. प्रश्न- बंगाल के सेन वंश का संक्षिप्त इतिहास लिखिए।
  228. प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
  229. प्रश्न- अरबों के सिन्ध पर आक्रमण का विवेचन कीजिए।
  230. प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
  231. प्रश्न- अरबों की सिन्ध विजय के परिणामों का परीक्षण कीजिए।
  232. प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
  233. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के विषय में आप क्या जानते हैं?
  234. प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
  235. प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक स्थिति बताइए।
  236. प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।
  237. प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारतीय अभियानों का उल्लेख कीजिए।
  238. प्रश्न- 12वीं शताब्दी में मुसलमानों की विजय और हिन्दुओं की पराजय के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए।
  239. प्रश्न- तुर्क आक्रमण के क्या कारण थे? इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
  240. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय शासकों के प्रतिरोध पर प्रकाश डालिए।
  241. प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमणों के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  242. प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय भारत की दशा क्या थी?
  243. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध के परिणामों का वर्णन कीजिए।

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